![]() |
(योग शास्त्र के प्रमाणों के साथ)
आज की तेज़ रफ्तार ज़िन्दगी में गुस्सा (क्रोध) एक आम समस्या बन चुकी है। छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन, आवेग और मानसिक अशान्ति बढ़ती जा रही है। ऐसे में योग शास्त्र हमें एक बहुत ही सरल और प्राकृतिक उपाय देता है — चन्द्र नाड़ी (इड़ा नाड़ी) को सक्रिय करना।
प्रश्न यह है कि:
क्या सच में चन्द्र नाड़ी चलाने से गुस्सा शान्त हो जाता है?
और क्या इसके शास्त्रीय प्रमाण मौजूद हैं?
इस लेख में हम इसे विस्तार से समझेंगे।
चन्द्र नाड़ी (इड़ा नाड़ी) क्या है?
योग शास्त्र के अनुसार हमारे शरीर में तीन प्रमुख नाड़ियाँ होती हैं:
-
इड़ा (चन्द्र नाड़ी)
-
पिंगला (सूर्य नाड़ी)
-
सुषुम्ना नाड़ी
इनमें से इड़ा नाड़ी, जिसे चन्द्र नाड़ी कहा जाता है:
-
बायीं नासिका (Left Nostril) से चलती है
-
शीतल, शान्त और सौम्य स्वभाव की होती है
-
मन और भावनाओं को संतुलित करती है
जब हमारी श्वास बायीं नाक से अधिक चलती है, तब चन्द्र नाड़ी सक्रिय मानी जाती है।
गुस्सा क्यों आता है? (योग दृष्टि से)
योग और आयुर्वेद के अनुसार:
-
गुस्सा = पित्त दोष + सूर्य नाड़ी (पिंगला) की अधिकता
-
अत्यधिक तेज, गर्मी, उत्तेजना और आवेग पिंगला नाड़ी से जुड़े होते हैं
जब सूर्य नाड़ी हावी हो जाती है, तब:
-
क्रोध
-
चिड़चिड़ापन
-
अधैर्य
-
आक्रामक व्यवहार
बढ़ने लगता है।
शास्त्रीय प्रमाण: चन्द्र नाड़ी और शान्ति
📜 1. हठयोग प्रदीपिका
हठयोग प्रदीपिका योग का एक प्रमुख ग्रन्थ है।
इसमें बताया गया है कि:
-
इड़ा नाड़ी चन्द्र स्वरूप है
-
यह मन को शान्त करती है
-
पिंगला नाड़ी सूर्य स्वरूप है, जो उष्णता और क्रियाशीलता बढ़ाती है
👉 इससे स्पष्ट होता है कि चन्द्र नाड़ी की सक्रियता मन को ठंडा और स्थिर बनाती है।
📜 2. शिव संहिता
शिव संहिता में कहा गया है कि:
-
इड़ा नाड़ी से प्रवाहित चन्द्र तत्व चित्त को शान्त करता है
👉 चित्त की शान्ति का सीधा अर्थ है — गुस्से और आवेग में कमी।
📜 3. स्वर योग शास्त्र
स्वर योग शास्त्र में नाड़ियों के प्रभाव को बहुत स्पष्ट रूप से समझाया गया है:
-
चन्द्र स्वर → शान्ति, धैर्य, करुणा
-
सूर्य स्वर → शक्ति, तेज, लेकिन अधिक हो तो क्रोध
इसी कारण स्वर योग में गुस्से, भय और मानसिक अशान्ति के समय चन्द्र स्वर को अपनाने की सलाह दी गई है।
चन्द्र नाड़ी कैसे चलाएँ? (सरल योग विधि)
🌙 चन्द्र भेदन प्राणायाम
यह एक शास्त्रसम्मत और सरल विधि है।
विधि:
-
दायीं नाक को अंगूठे से बन्द करें
-
बायीं नाक से धीरे-धीरे श्वास लें
-
बायीं नाक से ही श्वास छोड़ें
-
5 से 7 मिनट तक करें
लाभ:
-
मानसिक शान्ति
-
हृदय की धड़कन संतुलित
-
गुस्सा और बेचैनी में कमी
केवल नाड़ी ही नहीं, जीवनशैली भी ज़रूरी
योग शास्त्र यह भी सिखाता है कि:
-
सात्त्विक भोजन
-
पर्याप्त नींद
-
जप, ध्यान और संयम
भी गुस्सा नियंत्रित करने में सहायक हैं।
भगवद्गीता (अध्याय 17) में सात्त्विक आहार को मन की शुद्धि और शान्ति का कारण बताया गया है।
निष्कर्ष
✔ योग शास्त्र के अनुसार चन्द्र नाड़ी चलाने से गुस्सा शान्त होता है
✔ इसके प्रमाण हठयोग प्रदीपिका, शिव संहिता और स्वर योग शास्त्र में मिलते हैं
✔ यह एक प्राकृतिक, सुरक्षित और सरल उपाय है
यदि नियमित अभ्यास किया जाए, तो यह न केवल गुस्सा कम करता है, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्म-नियंत्रण भी बढ़ाता है।

